प्रश्नाकुल अनुभव से जन्मे निर्मल वर्मा के ये निबन्ध पिछले चार दशकों के दौरान लिखे गये निबन्धों और लेखों का स्वयं उनके द्वारा किया गया चयन है। इनमें स्वयं अपने बारे में और साथ ही सांस्कृतिक अस्मिता के बारे में रचनाकार के आत्ममंथन की प्रक्रिया ने रूपाकार ग्रहण किया है। एक ऐसी पीड़ित किन्तु अपरिहार्य प्रक्रिया जो ‘अन्य’ के सम्पर्क में आने पर ही शुरू होती है।…ये निबन्ध ‘अन्य’ से कायम किये गये उस नये रिश्ते की भी पहचान कराते हैं, जिसमें आत्मनिर्वासन की जगह आत्मबोध रहता है। समाज, संस्कृति और धर्म आदि शुद्ध साहित्यिक प्रश्नों के अलावा कुछ विशिष्ट रचनाकारों पर भी निर्मल वर्मा ने दृष्टि केन्द्रित की है। जीवन जगत के इतने कगारों को उनकी व्यापकता में छूते हुए ये निबन्ध अपने पाट की चौड़ाई से ही नहीं, मोती निकाल लाने की लालसा में गहरे डूबने के प्रयास से भी पाठक को आकर्षित और प्रभावित करते हैं। बीसवीं शताब्दी के वैचारिक उतार-चढ़ावों को पारदर्शी दृष्टि से अंकित करने वाले ये निबन्ध स्वयं निर्मल वर्मा की लम्बी चिन्तन-यात्रा के विभिन्न पड़ावों को पहली बार एक सम्पूर्ण संकलन में समेटने का प्रयास हैं। |
Related products
"1984, George Orwell By. George Orwell"
(0 Reviews)
Idd Complete Books Set (Hindi) by Aradhana Mataniya
(0 Reviews)
Asd 1St Year Books Set(6Books) by Shikha Pokhriyal
(0 Reviews)
Do Not Fear By. Barun Bose
(0 Reviews)
AS A MAN THINKETH By. JAMES ALLEN
(0 Reviews)
"1984, George Orwell By. George Orwell"
(0 Reviews)
Idd Complete Books Set (Hindi) by Aradhana Mataniya
(0 Reviews)
Asd 1St Year Books Set(6Books) by Shikha Pokhriyal
(0 Reviews)
Do Not Fear By. Barun Bose
(0 Reviews)
AS A MAN THINKETH By. JAMES ALLEN
(0 Reviews)
"1984, George Orwell By. George Orwell"
(0 Reviews)
Idd Complete Books Set (Hindi) by Aradhana Mataniya
(0 Reviews)
Asd 1St Year Books Set(6Books) by Shikha Pokhriyal
(0 Reviews)