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Gunahon Ka Devta by Dharmveer Bharti

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गुनाहों का देवता – धर्मवीर भारती के इस उपन्यास का प्रकाशन और इसके प्रति पाठकों का अटूट सम्मोहन हिन्दी साहित्य-जगत् की एक बड़ी उपलब्धि बन गये हैं। दरअसल, यह उपन्यास हमारे समय में भारतीय भाषाओं की सबसे अधिक बिकनेवाली लोकप्रिय साहित्यिक पुस्तकों में पहली पंक्ति में है। लाखों-लाख पाठकों के लिए प्रिय इस अनूठे उपन्यास की माँग आज भी वैसी ही बनी हुई है जैसी कि इसके प्रकाशन के प्रारम्भिक वर्षों में थी।—और इस सबका बड़ा कारण शायद एक समर्थ रचनाकार की कोई अव्यक्त पीड़ा और एकान्त आस्था है, जिसने इस उपन्यास को एक अद्वितीय कृति बना दिया है

Author

Publisher

Bharatiya Jnanpith

pages

258 pages

Binding

Hardcover, Paperback

Language

Hindi

Year/Edition

2024 / 82th

About Author

"धर्मवीर भारती –
जन्म: 25 दिसम्बर, 1926; इलाहाबाद (उ.प्र.)। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त कर वहीं अध्यापन कार्य। कई पत्र-पत्रिकाओं से जुड़े। अन्ततः धर्मयुग के सम्पादक के रूप में हिन्दी पत्रकारिता को नयी गरिमा प्रदान की।
प्रमुख कृतियाँ : साँस की क़लम से, मेरी वाणी गैरिक वसना, कनुप्रिया, सात गीत वर्ष, ठण्डा लोहा, सपना अभी भी, गुनाहों का देवता, सूरज का सातवाँ घोड़ा, बन्द गली का आख़िरी मकान, पश्यन्ती, कहनी अनकहनी, शब्दिता, अन्धा युग तथा मानव-मूल्य और साहित्य। 'पद्मश्री' सम्मान के साथ 'व्यास सम्मान' एवं अन्य अनेक राष्ट्रीय पुरस्कारों से अलंकृत।"धर्मवीर भारती –
जन्म: 25 दिसम्बर, 1926; इलाहाबाद (उ.प्र.)। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त कर वहीं अध्यापन कार्य। कई पत्र-पत्रिकाओं से जुड़े। अन्ततः धर्मयुग के सम्पादक के रूप में हिन्दी पत्रकारिता को नयी गरिमा प्रदान की।
प्रमुख कृतियाँ : साँस की क़लम से, मेरी वाणी गैरिक वसना, कनुप्रिया, सात गीत वर्ष, ठण्डा लोहा, सपना अभी भी, गुनाहों का देवता, सूरज का सातवाँ घोड़ा, बन्द गली का आख़िरी मकान, पश्यन्ती, कहनी अनकहनी, शब्दिता, अन्धा युग तथा मानव-मूल्य और साहित्य। 'पद्मश्री' सम्मान के साथ 'व्यास सम्मान' एवं अन्य अनेक राष्ट्रीय पुरस्कारों से अलंकृत।
निधन: 4 सितम्बर, 1997 ( मुम्बई)।
"

निधन: 4 सितम्बर, 1997 ( मुम्बई)।
"

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