100% Money back

Search

Need help? 9990860860 Nanhi Shop
Need help? 9990860860 Nanhi Shop

10 in stock

Teergi Mein Roshani (तीरगी में रौशनी )

47,53,romn 4,5,6, 37, 82

227.00260.00

Clear
Compare

“‘बदले हो तुम तो इसमें क्या हैरत है
देख रहा हूँ रोज़ बदलती दुनिया को’

बाहर की रोज़ बदलती दुनिया को तो हर कोई देख रहा है लेकिन कोई-कोई ही अन्दर की बदलती-जलती दुनिया को देख पाता है।

‘बाहर की जलती दुनिया को छोड़ो भी
देखो मेरे अन्दर जलती दुनिया को’

और अपने अन्दर की बदलती-जलती दुनिया को देखने वाला जब नामी इंजीनियर हो तो ये मानना ही पड़ता है कि वो नामी इंजीनियर एक कामयाब शायर भी है। नामी इंजीनियर और कामयाब शायर डॉ. सुनील कुमार शर्मा का ये पहला ग़ज़ल-संग्रह है ‘तीरगी में रौशनी’। लेकिन इस संग्रह की कुछ ग़ज़लें पढ़ने के बाद ये कहना पड़ता है कि सुनील जी अपने पहले ही संग्रह में पूरी तैयारी के साथ आये हैं।

‘ग़ौर से देखेंगे तो फ़र्क़ दिखाई देगा
इश्क़-मुहब्बत, हुस्नपरस्ती एक नहीं’

सुनील जी ने आज की इस बदलती दुनिया को गौर से देखा है और क्लासकी अन्दाज़ की इस कहन को मेहनत से साधा है। हिन्दी-ग़ज़ल में अधिकतर कवि गीत-धारा से आते हैं लेकिन सुनील जी कविता से ग़ज़ल में दाख़िल हुए हैं और इसके लिए उन्होंने ग़ज़ल की बुनियादी बारीकियों का भरपूर अध्ययन किया है जो उनकी शायरी में उभर-उभरकर आया है।

‘ये अश्क आँखों में लिये दिल कह रहे थे अलविदा
हो रही थी बात आख़िर आख़िरी दोनों तरफ़
तीरगी में रौशनी थी रौशनी में तीरगी
हो रही थी कुछ न कुछ जादूगरी दोनों तरफ़’

मैं ‘तीरगी में रौशनी’ के शायर का स्वागत करता हूँ, बधाई देता हूँ और कामना करता हूँ कि उनका शे’री सफ़र यूँ ही जारी रहे। मुझे पूरी उम्मीद है कि वो जल्द ही शे’र-ओ-सुख़न की दुनिया में अपनी मंज़िल और मुक़ाम हासिल करेंगे।

‘अपनी मंज़िल को पा कर दिखलाऊँगा
मेरा रास्ता काट के चलती दुनिया को’
—राजेश रेड्डी

★★★

भारतीय ग़ज़लाकाश में सुनील कुमार शर्मा नामक एक और नक्षत्र नमूदार हुआ है, जिसकी ग़ज़लें अपनी जगमगाहट से अदबी दुनिया को रोशन करेंगी और ग़ज़ल-प्रेमी पाठकों को आकर्षित करेंगी।
दुनियावी चकाचौंध में जीवन-जगत् के तमाम आकर्षणों से दिग्भ्रमित इन्सान, अक्सर यह भी भूल जाता है कि आख़िर उसे चाहिए क्या? शायर ने कितनी सहजता और दृढ़ता से दो मिसरों में इस ऊहापोह को स्पष्ट कर दिया है—

‘मुझे पहले यूँ लगता था, सहारा चाहिए मुझको
मगर अब जा के समझा हूँ किनारा चाहिए मुझको’

बहर, कथ्य और कहन की दृष्टि से परिपक्व सुनील कुमार शर्मा की इन ग़ज़लों की गूँज अदबी दुनिया में बहुत दूर और देर तक क़ायम रहेगी, ऐसा मेरा विश्वास है।
‘तीरगी में रौशनी’ की इन ग़ज़लों में एक ओर जहाँ रवायती अन्दाज़ के कई शे’र अपने पूरे आबो- ताब के साथ नुमाया हैं—

‘अश्क आँखों में लिये दिल कह रहे थे अलविदा
हो रही थी बात आख़िर आख़िरी दोनों तरफ़’

तो वहीं दूसरी ओर शायर ने अपने पहले ही प्रयास में अपने जज़्बातो-अहसासात को नये बिम्बों, प्रतीकों और शब्दों के माध्यम से व्यक्त करने में सफलता प्राप्त कर ली है—

‘ग्रीन टी, म्यूज़िक, किताबें, क़िस्से, शेरो-शायरी,
जो तुम्हारे शौक़ थे, वो शौक़ मेरे हो गए।‘

‘तीरगी में रौशनी’ के प्रकाशन पर हार्दिक बधाई। अल्लाह करे ज़ोर-ए-क़लम और ज़ियादा।
—दीक्षित दनकौरी

★★★

शायरी अपने अहद की सच्ची तस्वीर होती है, शायरी दिलों की वो आवाज़ है जो एक दिल से दूसरे दिल तक पहुँचती है। दो मिसरों में बात कहना हालाँकि बड़ा मुश्किल काम है लेकिन ग़ज़ल की ख़ूबसूरती भी यही है। किसी भी मौजू पर कोई भी शे’र यूँ ही नहीं कह दिया जाता, उसके लिए उस माहौल से गुज़रना भी उतना ही ज़रूरी होता है और डॉ. सुनील कुमार शर्मा की शायरी में ये बात झलकती है।
— मुनव्वर राना

Author

Weight 0.5 kg
Dimensions 22.59 × 14.34 × 1.82 cm
Author

Dr. Sunil Kumar Sharma (डॉ. सुनील कुमार शर्मा )

Language

Hindi

Publisher

Vani Prakashan

Pages

142

Year/Edtion

2025

Subject

Ghazal

About Author

डॉ. सुनील कुमार शर्मा उत्तर प्रदेश के बुलन्दशहर से ताल्लुक़ रखते हैं। वह हिन्दी भाषा के कवि एवं ग़ज़लकार के रूप में प्रसिद्ध हैं। वर्तमान में कोलकाता में निवास करते हुए अपनी लेखनी के माध्यम से तकनीकी क्षेत्र में हो रहे विकास को हिन्दी में लाने का महती प्रयास कर रहे हैं। उनकी पहचान एक साहित्यिक मानस और गम्भीर शोधकर्ता के रूप में है। उनका रचनात्मक तकनीकी विषयों सम्बन्धी लेखन हिन्दी साहित्य-समाज को समृद्ध करता है। उनके अवदान को हिन्दी भाषा क्षेत्र की विभिन्न संस्थाओं ने महत्त्व दिया है। उनको भारत सरकार, मध्य प्रदेश हिन्दी साहित्य सम्मलेन, शिया कॉलेज एवं ट्रस्ट तथा अन्य साहित्यिक एवं तकनीकी संस्थाओं द्वारा पुरस्कृत किया गया है। हिन्दी काव्य की संवेदना-संसार में वह अपनी कविता की किताब ‘हद या अनहद’ से एक काव्यात्मक उपस्थिति रखते हैं। शोधपरक और तकनीकी क्षेत्र में उनहोंने ‘उद्योग 4.0’, ‘आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस : एक अध्ययन’, ‘चैट जीपीटी : एक अध्ययन’ जैसे नवीन विषयों पर हिन्दी भाषा में किताबें लिखी हैं।

Reviews

There are no reviews yet.

Write a review

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Bestsellers

Ravindra Nath Tagore Rachnawali - Do Bahan, (Part-50)

Original price was: ₹60.00.Current price is: ₹48.00.
(0 Reviews)

Ravindra Nath Tagore Rachnawali - Tash Ka Desh (Part-6)

Original price was: ₹60.00.Current price is: ₹48.00.
(0 Reviews)

Ve Din by Nirmal Verma

Original price was: ₹250.00.Current price is: ₹200.00.
(0 Reviews)

Maru Kesari (मरु-केसरी)

Original price was: ₹200.00.Current price is: ₹130.00.
(0 Reviews)

Innovations in Horticultural Sciences

Original price was: ₹6,500.00.Current price is: ₹4,875.00.
(0 Reviews)

IPR: Drafting,Interpretation of Patent Specifications and Claims

Original price was: ₹2,995.00.Current price is: ₹2,246.00.
(0 Reviews)

Back to Top
Product has been added to your cart