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Ashwarohi (अश्‍वारोही)

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“उस मकान की खिड़कियाँ बाहर की ओर खुलती थीं। नीचे की घाटी इतनी मोहक थी कि जी चाहता था, उसी क्षण नीचे छलाँग लगाकर आत्महत्या कर ली जाये। लॉन में लेटी पीले जार्जेट के पल्ले-सी धूप… मैं, प्रोफेसर शर्मा की बात नहीं मानती, मांस के दरिया में यथार्थ होगा, मुझे तो ‘नील झील’ पसन्द है, जहाँ पक्षियों को मारना मना है। आकाश से बमवर्षक विमान की तरह नीचे डाइव करता जलपाँखी…फल काटने वाले चाकू । अभी सफेद चमकदार, अभी रक्तस्नात अंगारे-सी दहकती अम्मा के माथे की बिन्दी, गले में अजगर-सी सरकती काले पत्थरों की माला…हाँ, मैं तो भूल ही गयी, इस नये प्रिंट की साड़ी मुझे आज ही लेनी है। सिन्दूरी रंग का सनमाइका टेबल बनवाना है। श्वेत घोड़े पर सवार होकर अन्धड़ गति से वह अश्वारोही आख़िर चला ही गया…क्या मैं उसकी गति को बाँध पाती? सबावाला की पेंटिंग में दूसरा अश्वारोही बाहर निकलकर अब तक अवश्य मरुस्थल में खो गया। इतने चाहने पर भी सुकान्त का चेहरा याद क्यों नहीं आता? लॉन पर लेटी धूप… पागल कुत्ते की तरह शीशे पर सिर पटकती पेड़ की टहनी… बर्फ का अपार विस्तार… अशोक वृक्ष के नीचे सोया श्वेत चीता… विदा का वह क्षण… मृत फूलों को ज़ोर-ज़ोर से हिला रहा सुकान्त, मछलीघर में मरी हुई सुनहरी मछलियाँ और फिर इन सारे कटे हुए दृश्यों का मरुस्थल में खो जाना, बाहर को खुलती दरवाज़े जितनी खिड़की…काली घाटी… काली झील… श्वेत तना हुआ अश्व। अशोक वृक्ष… श्वेत चीता, जलपाँखी, अम्मा औ…र सु…का…त… ।

-‘अश्वारोही’ कहानी से”

Author

Weight 0.5 kg
Dimensions 22.59 × 14.34 × 1.82 cm
Author

Ashwarohi (अश्‍वारोही)

Language

Hindi

Publisher

Vani Prakashan

Pages

108

Year/Edtion

2024

Subject

Collection of stories

Contents

N/A

About Athor

"स्वदेश दीपक –

हिन्दी साहित्य के प्रतिष्ठित और प्रशंसित लेखक व नाटककार स्वदेश दीपक का जन्म रावलपिण्डी में 6 अगस्त, 1942 को हुआ। अंग्रेज़ी साहित्य में एम.ए. करने के बाद उन्होंने लम्बे समय तक गांधी मेमोरियल कॉलेज, अम्बाला छावनी में अध्यापन किया। दशकों तक अम्बाला ही उनका निवास स्थान रहा। सन् 1991 से 1997 तक दुनिया से कटे रहने के बाद जीवन की ओर बहुआयामी वापसी करते हुए उन्होंने कई कालजयी कृतियाँ रचीं जिनमें मैंने माण्डू नहीं देखा और सबसे उदास कविता के साथ-साथ कई कहानियाँ शामिल हैं। वे उन कुछेक नाटककारों में से हैं, जिन्हें संगीत नाटक अकादेमी सम्मान हासिल हुआ। यह सम्मान उन्हें सन् 2004 में प्राप्त हुआ ।

कोर्ट मार्शल स्वदेश दीपक का सर्वश्रेष्ठ नाटक है। अरविन्द गौड़ के निर्देशन में अस्मिता थियेटर ग्रुप द्वारा भारत भर में इस नाटक का 450 से भी अधिक बार मंचन किया गया। सन् 2006 की एक सुबह वे टहलने के लिए निकले और घर नहीं लौट पाये। तब से उनका पता लगाने की सारी कोशिशें नाकाम रही हैं।

वाणी प्रकाशन ग्रुप द्वारा प्रकाशित स्वदेश दीपक का सम्पूर्ण साहित्य –

अश्वारोही, मातम, तमाशा, बाल भगवान, किसी अप्रिय घटना का समाचार नहीं, मसखरे कभी नहीं रोते, बगूगोशे, निर्वाचित कहानियाँ, प्रतिनिधि कहानियाँ (कहानी-संग्रह), नम्बर 57 स्क्वाड्रन, मायापोत (उपन्यास), कोर्ट मार्शल, नाटक बाल भगवान, जलता हुआ रथ, सबसे उदास कविता, काल कोठरी (नाटक), मैंने माण्डू नहीं देखा (संस्मरण) ।"

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