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Kaviyon Ke Bahane Vartman Par Bahas (कवियों के बहाने वर्तमान पर बहस )

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“कवियों के बहाने वर्तमान पर बहस –
इक्कीसवीं सदी की हिन्दी कविता वस्तु एवं संवेदना की दृष्टि से नब्बे के दशक की कविता का विकास है। नव-उपनिवेशन के आर्थिक उदारीकरण एवं बाज़ारवाद की यह कविता है। यह भूमण्डलीकरण की उत्तर-पूँजी, आर्थिक साम्राज्यवाद एवं वैश्वीकरण की साझी संस्कृति जिसे हम अपसंस्कृति कहते हैं, की कविता है। अपने मूल चरित्र में यह कविता प्रतिरोध की संस्कृति रचती है जिसमें यथार्थ की गहरी पकड़ एवं समय की सही समझ है। कविता के इस दौर की चर्चा के सिलसिले में संकट काल, दुस्समय, कुसमय, कठिन समय, क्रूर समय जैसे प्रत्ययों का बहुधा प्रयोग होता है। ये प्रत्यय वर्तमान के सांस्कृतिक संकट के संकेतक हैं। इस संकट के मूल में एक ओर वैश्विक अर्थव्यवस्था के जगमगाते बाज़ार की हमारी लुभावनी ज़िन्दगी है तो दूसरी ओर सांस्कृतिक राष्ट्रवाद, साम्प्रदायिकता एवं फासीवाद का ख़तरा है। सम्प्रति हमारा देश और समाज अमानवीकरण की प्रक्रिया से गुज़र रहा है।…
‘कवियों के बहाने वर्तमान पर बहस’ समकालीन दौर की सामाजिक यथार्थ प्रवण, जनवादी, प्रतिरोधी कविता को काव्य चर्चा के केन्द्र में लाने का प्रयास है। इसमें कवि विमर्श द्वारा जीवन और कविता का वर्तमान परिदृश्य प्रस्तुत किया गया है। वर्तमान के बहुआयामी यथार्थ के परिवेश में विकस्वर नयी काव्य संवेदना, सामाजिक सरोकार, प्रतिबद्धता और प्रतिरोधी चेतना के मूल में कवि का जीवन राग ही के प्रकट हुआ है। इस विविध आयामी, बहुस्वरीय राग का संकलन एवं समावेश ही प्रस्तुत कृति का अभिप्रेत है।

Author

Weight 0.5 kg
Dimensions 22.59 × 14.34 × 1.82 cm
Author

Dr. K.G. Prabhakaran (डॉ. के. जी प्रभाकरण)

Language

Hindi

Publisher

Vani Prakashan

Pages

144

Year/Edtion

2015

Subject

Criticism

Contents

N/A

About Athor

"डॉ. के.जी. प्रभाकरन –
जन्म : 1944, कीच्चेरी, ज़िला एरणाकुलम, केरल।
शिक्षा : एम.ए. केरल विश्वविद्यालय, पीएच.डी., आगरा विश्वविद्यालय
वृत्ति : केरल के विभिन्न राजकीय महाविद्यालयों में अध्यापन। प्राचार्य पद से सेवानिवृत्त।
साहित्य सेवा : 'साहित्य मण्डल पत्रिका' का सम्पादन; 'जन विकल्प' पत्रिका का परामर्शदाता; 'वाणी का मृत्युंजय' (सम्पादन सहयोग) ; शोध पत्रिकाओं में आलेख प्रकाशित।
सम्मान : भारतेन्दु भूषण सम्मान (उत्तर प्रदेश हिन्दी-उर्दू साहित्य अवार्ड कमेटी, लखनऊ); सम्मान (राष्ट्रीय हिन्दी साहित्य सम्मेलन, केरल)।
"

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